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मतवाली मीरा
मतवाली मीरा पूज्यपाद ब्रह्मचारी जी द्धारा सन 1945 लिखी गई। भक्त मीरा भक्ति की सम्पूर्णता की प्रतिमूर्ति है।महाराज जी ने भी मतवाली मीरा की प्रस्तावना में मीरा की निश्छल प्रेम को प्रस्तुत करते हुए लिखा कि "मीरा का प्रेम निश्छल है,निष्कपट है, स्वाभविक है।उसमे बनावट, दिखावट तथा प्रदर्शन की भावना की गंध भी नही।उसने कविता के लिए कविता नही की,गाने के लिए गीत नही बनाये ,उसने तो अपने ह्रदय की आहो से अपने प्राणबल्लभ को रिझाया है"
मतवाली मीरा अपने अन्दर भक्ति का अथाह सागर समेटे हुए है ।सभी से अनुरोध है कि इसे अवश्य पढ़े
लेखक - श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी
पेज संख्या- 156
कवर सॉफ्ट कवर
प्रकाशक -संकीर्तन भवन ट्रस्ट,प्रतिष्ठानपुर,(झूंसी)प्रयाग
पुस्तक प्राप्त करने के लिए संपर्क करे -
पंडित रामदयाल फाउंडेशन ,भिण्ड(म.प्र.)मो.न.9425741068
या आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके AMAZON पर भी मंगा सकते है
https://www.amazon.in/dp/B08HFXL1PC/ref=cm_sw_r_cp_apa_i_sQTyFbVTPBQSV
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Subjects
prabhudatt, Meera, MIRA, Brahmchari, Prabhudatt Brahmchari, mirabaiPeople
Mīrābāī (fl. 1516-1546), meerabai, meeraTimes
1516-1546Showing 2 featured editions. View all 2 editions?
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In Hindi.
On Page 184: 184 + 32 = 216 p.
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- Created April 1, 2008
- 4 revisions
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